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ऑफिस लव स्टोरी: जब प्यार ने करियर और दिल दोनों की परीक्षा ली

Posted on November 6, 2025 by My Hindi Stories

In a modern Indian office after rain, young woman Riya and man Aditya with coffee mugs stand by a glass wall

कभी-कभी सबसे खूबसूरत कहानियाँ वहीं शुरू होती हैं, जहाँ हम उन्हें ढूंढने नहीं जाते।

वो सोमवार की सुबह थी। बारिश थम चुकी थी, लेकिन हवा में उसकी नमी बाकी थी। रिया अपने नए ऑफिस के गलियारे में कदम रख रही थी — थोड़ी घबराई हुई, लेकिन आँखों में सपनों की चमक लिए। तभी सामने से आदित्य आता दिखा — सफेद शर्ट, हाथ में कॉफी मग और चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान। न कोई फ़िल्मी एंट्री, न कोई ड्रामा — बस एक सादा, सच्चा लम्हा। लेकिन वही लम्हा रिया के दिल में कहीं ठहर गया।

काम की शुरुआत, दिल की हलचल

रिया और आदित्य एक ही प्रोजेक्ट पर काम करने लगे। आदित्य सीनियर था, लेकिन उसके बर्ताव में ज़रा भी रौब नहीं था। जब भी रिया किसी काम में उलझती, आदित्य धैर्य से उसे समझा देता। धीरे-धीरे उनके कॉफी ब्रेक छोटी-छोटी बातें नहीं, बल्कि लंबी चर्चाओं में बदलने लगे — मौसम, फिल्में, किताबें, और फिर ज़िंदगी तक।
कभी हँसी में लिपटी बातें, तो कभी चुप्पी में छिपे एहसास। धीरे-धीरे, बिना किसी वादे के, एक रिश्ता बनता जा रहा था।

वो शाम जो याद रह गई

एक दिन दोनों ऑफिस में देर तक रुके थे। बाहर फिर हल्की बारिश हो रही थी। रिया खिड़की के पास खड़ी बोली,
“कभी-कभी लगता है, ज़िंदगी बहुत तेज़ भाग रही है।”
आदित्य मुस्कराया, “शायद इसलिए, ताकि हम कुछ लम्हों को और गहराई से महसूस कर सकें।”
रिया ने उसकी आँखों में देखा — और शायद उसी पल कुछ बदल गया।

रिश्ते की शुरुआत, पर कुछ सवाल भी

कुछ हफ़्तों बाद आदित्य ने धीरे से पूछा,
“क्या हम कभी ऑफिस के बाहर मिल सकते हैं? सिर्फ हम दोनों?”
रिया थोड़ी देर चुप रही, फिर मुस्कराई — “हाँ।”

फिर शुरू हुआ उनका सिलसिला — किताबों की दुकानों में घूमना, पुराने कैफे में बातें करना, या पार्क की बेंच पर बैठकर बस चुपचाप समय बिताना।
पर जैसे-जैसे नज़दीकियाँ बढ़ीं, वैसे-वैसे सवाल भी —
“क्या ऑफिस में सबको पता चला तो?”
“क्या ये सही है?”
“क्या ये रिश्ता चलेगा?”

सच का सामना

एक दिन किसी ने उन्हें साथ देख लिया। बात धीरे-धीरे पूरे ऑफिस में फैल गई। HR ने बुलाकर समझाया कि कंपनी में निजी रिश्तों को लेकर नियम हैं।
रिया परेशान हो गई। “शायद हमें रुक जाना चाहिए,” उसने कहा।
आदित्य ने गंभीर होकर जवाब दिया, “अगर रुक जाने से तुम्हारा करियर सुरक्षित रहेगा, तो मैं पीछे हट जाऊँगा।”

वो पल रिया के लिए सबसे अहम था — उसे एहसास हुआ कि ये प्यार सिर्फ आकर्षण नहीं, बल्कि समझ और सम्मान पर बना है।

फैसले का मोड़

रिया कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपने घर लखनऊ चली गई। माँ ने पूछा,
“सब ठीक है बेटा?”
रिया की आँखें नम हो गईं, “प्यार किया है माँ, पर समझ नहीं आ रहा आगे क्या करूँ।”
माँ ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा,
“अगर प्यार सच है, तो डर कैसा?”

रिया लौट आई। सबसे पहले आदित्य से मिली और बोली,
“मैं किसी मुश्किल से नहीं डरती, जब तक तुम साथ हो।”

नई शुरुआत

आदित्य ने खुद को दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर करवा लिया, ताकि रिया का करियर प्रभावित न हो।
अब दोनों अलग शहरों में थे, पर उनका रिश्ता पहले से ज्यादा मजबूत था — अब वो सिर्फ एक जगह या नौकरी से नहीं, बल्कि भरोसे और साथ से जुड़ा था।

अंत में…

तीन साल बाद, उसी पार्क में जहाँ उन्होंने पहली बार हाथ थामा था, आदित्य ने पूछा —
“क्या तुम मेरी ज़िंदगी का हर प्रोजेक्ट हमेशा के लिए बनोगी?”
रिया मुस्कराई, और धीरे से कहा — “हाँ।”

सीख/Moral

प्यार वहीं मिलता है, जहाँ हम उसे तलाशते नहीं।
एक अच्छा रिश्ता सिर्फ साथ चलने की बात नहीं करता, बल्कि रास्ता आसान बनाने के लिए खुद पीछे हटने का साहस भी रखता है।
ऑफिस का प्यार मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर उसमें समझ, सम्मान और भरोसा हो — तो वो हर परीक्षा पार कर जाता है।
क्योंकि प्यार कभी जगह से नहीं, दिल से जुड़ता है। ❤️क्या आपके साथ भी ऐसा कोई लम्हा हुआ है?

नीचे कमेंट में अपनी कहानी शेयर कीजिए — शायद किसी और का दिल भी मुस्कुरा उठे। 💬✨

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