कभी-कभी हम अपनी ज़िन्दगी की कठिनाइयों का दोष दूसरों को देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी सोच ही हमारी सबसे बड़ी गरीबी या अमीरी हो सकती है? यही बात हमें इस प्रेरणादायक कहानी से सीखने को मिलती है, जो भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी है।
कहानी शुरू होती है…
बहुत समय पहले की बात है। एक राज्य के राजा ने भगवान गौतम बुद्ध को अपने राज्य में आमंत्रित किया। राजा चाहता था कि बुद्ध कुछ दिन उसके राज्य में ठहरें, लोगों की समस्याओं का समाधान करें और उन्हें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।
बुद्ध ने इस निमंत्रण को स्वीकार किया और अपने कुछ शिष्यों के साथ उस राज्य में पहुँचे। राजा ने उनका भव्य स्वागत किया और राज्य में तीन दिन की धर्मसभा का आयोजन किया।
जब भिखारी ने धर्मसभा को नजरअंदाज किया
उसी राज्य में एक चौराहे पर रोज़ बैठने वाला एक भिखारी भी था। उसे भी गौतम बुद्ध के आगमन की सूचना मिली। लेकिन उसने सोचा:
“मुझे धर्मसभा में जाकर क्या मिलेगा? यहीं बैठा रहूंगा, लोग आएंगे तो भीख में कुछ न कुछ दे ही देंगे।”
पहले दिन बहुत भीड़ थी, और लोगों से उसे खूब भीख मिली। दूसरे दिन भी उसका यही हाल रहा, लेकिन उसने एक बात गौर की — लोग जब सभा में जा रहे थे तो उदास लगते थे, लेकिन जब लौटकर आते थे तो उनके चेहरे पर सच्ची मुस्कान होती थी। वे खुश होकर उसे भी कुछ देकर जाते थे।
तीसरे दिन की तंगी और भिखारी का निर्णय
तीसरे दिन धर्मसभा में बहुत कम लोग आए। भिखारी को कुछ खास नहीं मिला। अब वह चिंतित हो गया। तभी उसने सोचा:
“अगर बुद्ध सबकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, तो क्यों न मैं भी अपनी निर्धनता का कारण पूछूं?”
वह भी सभा में पहुंचा। लंबी लाइन थी, लेकिन इंतजार करता रहा।
मैं ही निर्धन क्यों हूं?
जब उसका नंबर आया, तो उसने गौतम बुद्ध को प्रणाम किया और पूछा:
“भगवान, इस गांव में सब खुशहाल हैं, पर मैं ही निर्धन क्यों हूं?”
गौतम बुद्ध मुस्कराए और बोले:
“तुम निर्धन इसलिए हो क्योंकि तुम सिर्फ लेना जानते हो, देना नहीं।
तुम सोचते हो कि लोग तुम्हें भीख दें, लेकिन तुम कभी किसी को कुछ नहीं देना चाहते।”
मेरे पास देने को है ही क्या?
भिखारी ने बड़ी हैरानी से कहा:
“भगवान, मैं क्या दूंगा? मेरा तो खुद का गुजारा भी भीख से चलता है। मेरे पास देने को कुछ नहीं है।”गौतम बुद्ध कुछ क्षण मौन रहे। फिर उन्होंने जो कहा, वो भिखारी की ज़िंदगी बदल देने वाला उत्तर था।
बुद्ध का जीवन बदल देने वाला उत्तर
“तुम मूर्ख हो। देने के लिए सिर्फ धन की ज़रूरत नहीं होती।
ईश्वर ने तुम्हें बहुत कुछ दिया है —
- एक मुस्कान, जो किसी को हिम्मत दे सकती है।
- एक मधुर आवाज़, जिससे तुम किसी की तारीफ़ कर सकते हो।
- दो हाथ, जिनसे तुम किसी की मदद कर सकते हो।
- एक स्वस्थ शरीर, जिससे तुम भीख मांगने की बजाय मेहनत कर सकते हो।
जो इन सबका उपयोग करता है, वह कभी निर्धन नहीं हो सकता।
तुम निर्धन हो अपनी सोच के कारण। जब सोच बदलोगे, तो जीवन बदल जाएगा।”
सीख/Moral of the Story
यह कहानी हमें सिखाती है कि:
- गरीबी पैसे की नहीं, सोच की होती है।
- हर इंसान में देने की क्षमता होती है।
- अगर हम दूसरों की मदद करें, उनके साथ मुस्कुराएं, उनके जीवन में थोड़ा सा उजाला लाएं — तो हम भी अमीर हैं।
तुलना करना बंद करें और खुद के अंदर छुपी अच्छाइयों को पहचानें।
अंत में एक सवाल आपसे…
क्या आपने कभी सोचा है कि आप दूसरों को क्या दे सकते हैं — बिना किसी पैसे के?
अगर हाँ, तो नीचे कमेंट में जरूर बताएं और इस कहानी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। हो सकता है, आपकी वजह से किसी की सोच बदल जाए। और ऐसी ही और प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़ें


