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पंचतंत्र की कहानी – चतुर बंदर और मगरमच्छ

Posted on October 3, 2025 by My Hindi Stories

A smart monkey named Chintu sits on a tree branch while a crocodile, Bhokal Singh, looks up from the riverbank. The scene shows how Chintu used his intelligence to escape the crocodile's trap.

“जहाँ बुद्धि होती है, वहाँ डर नहीं होता; और जहाँ धैर्य होता है, वहाँ जीत होती है।

यह कहावत हमें जंगल की एक अनोखी कहानी से सीखने को मिलती है, जिसमें चतुर बंदर चिंटू और चालाक मगरमच्छ भौकाल सिंह की ज़िंदगी की दिलचस्प घटनाएं हैं।

जंगल की सुंदरता और चिंटू की खासियत

बहुत समय पहले की बात है, एक घना और सुन्दर जंगल था जहाँ पक्षी गुनगुनाते, नदियाँ कल-कल बहतीं, और पेड़ों पर आम के मीठे फल झूल रहे होते थे। उसी जंगल में चिंटू नाम का एक बंदर रहता था। चिंटू साधारण बंदर नहीं था, बल्कि अपनी समझदारी, चालाकी, तेज़ सोच, फुर्तीली चाल और हँसमुख स्वभाव के लिए पूरे जंगल में मशहूर था।

चिंटू का सरल और खुशहाल जीवन

चिंटू की दिनचर्या बहुत ही सरल थी। वह सूरज की पहली किरण के साथ उठता, सबसे पहले अपने पसंदीदा आम के पेड़ पर चढ़ जाता, और कुछ मीठे आम चखकर मन को ताज़ा करता। फिर वह जंगल के दोस्तों के साथ मिलकर खेलता, मदद करता और खुश रहता।

चिंटू का दिल बहुत बड़ा था। वह नन्हे खरगोश से लेकर बूढ़े हाथी तक सभी की मदद करता था। जंगल के जानवर चिंटू को अपना दोस्त मानते थे, क्योंकि वह न केवल बुद्धिमान था, बल्कि सच्चा और भरोसेमंद भी था।

नदी का खतरनाक मगरमच्छ – भौकाल सिंह 

लेकिन चिंटू की ज़िंदगी में एक बड़ा खतरा था—नदी में रहने वाला मगरमच्छ भौकाल सिंह। भौकाल सिंह बहुत चालाक और खतरनाक था। वह न केवल तेज़ था, बल्कि उसके पास एक खतरनाक जबान भी थी, जिससे वह अपने शिकार को डराकर पकड़ लेता था। जंगल के कई जानवर उससे डरते थे, क्योंकि वह हर किसी को खाने के लिए तैयार रहता था।

भौकाल सिंह ने चिंटू को कई बार देखा था और जानता था कि चिंटू जंगल का सबसे चतुर बंदर है। इसलिए उसे पकड़ना आसान नहीं होगा। फिर भी, भौकाल सिंह ने चिंटू को फँसाने की योजना बनाई।

भौकाल सिंह की चालाक योजना और चिंटू की चतुराई

एक दिन, नदी के किनारे भौकाल सिंह ने चिंटू को बुलाया और कहा,
“बबलू, मैं तुम्हें दोस्त बनाना चाहता हूँ। क्यों न हम दोनों मिलकर जंगल की ज़िंदगी और बेहतर बनाएं?”

चिंटू ने शक भरी नजरों से पूछा, “मगरमच्छ और बंदर दोस्त? ऐसा कैसे हो सकता है?”

भौकाल सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हें नदी पार करवा सकता हूँ ताकि तुम दूसरे किनारे के मीठे फल भी खा सको। यह तुम्हारे लिए फायदेमंद होगा।”

चिंटू ने सोचा, “अगर मैं नदी पार कर लूं, तो अपने दोस्तों के लिए और भी आम ला सकता हूँ। शायद भौकाल सिंह सच कह रहा हो।”

पर उसने हिम्मत जुटाकर जवाब दिया, “ठीक है, मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ। लेकिन नदी पर करते समय मुझे सतर्क रहना होगा।

नदी पार करते समय हुआ धोखा और चिंटू की सूझबूझ

भौकाल सिंह ने चिंटू को अपनी पीठ पर बैठाया और नदी पार करना शुरू किया। पानी ठंडा था और हवा भी तेज़ थी। चिंटू का दिल जोरों से धड़क रहा था। वह जानता था कि भौकाल सिंह चालाक है, लेकिन वह अपनी बुद्धि पर भरोसा करता था।

नदी के बीच में पहुँचकर भौकाल सिंह ने अपना असली मकसद बताया, “बबलू, अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा। मैं बहुत भूखा हूँ, और तुम्हारा मीठा मांस मुझे ख़ुशी देगा।”

चिंटू ने तुरंत समझ लिया कि उसकी जान खतरे में है। लेकिन उसने घबराने की बजाय एक तरकीब सोची। 

उसने बिना देरी किए मगरमच्छ से कहा,
“अरे भौकाल भाई! तुमने मुझे खाने का सोच लिया, लेकिन एक गलती कर दी।”

मगरमच्छ ने हैरानी से पूछा, “कौन सी गलती?”

चिंटू ने जवाब दिया, “मैं हमेशा अपना दिल पेड़ पर टांगकर कर रखता हूँ। बंदरों का दिल बहुत नाजुक होता है, इसलिए हम उसे अपने शरीर में नहीं रखते। अगर तुम मुझे खाना ही चाहते हो, तो पहले मुझे वापस पेड़ पर ले चलो, मैं अपना दिल ले आऊँ।”

गप्पू मगर लालच में आ गया और बोला, “ठीक है, जल्दी चलो।”

बहादुरी और समझदारी की जीत

नदी के किनारे पहुंचते ही चिंटू तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और हँसते हुए बोला,
“देखा, तुम अपनी चालाकी से मुझे फँसाना चाहते थे, लेकिन मेरी सूझबूझ भी कम नहीं।”

सारे जानवरों ने यह कहानी सुनी, और चिंटू की बहादुरी और बुद्धिमत्ता की खूब प्रशंसा की। चिंटू ने सभी को समझाया कि जीवन में सतर्क रहना बहुत जरूरी है और धोखे के सामने अपनी बुद्धि को हथियार बनाना चाहिए।

जंगल में नयी उम्मीद और सबक

उस दिन से जंगल में एक नई सोच फैली—चालाकी और समझदारी ही असली ताकत हैं। चिंटू ने दिखा दिया कि बिना ज़ोर-शोर के, बिना पराक्रम के भी आप अपनी सूझबूझ से संकटों का सामना कर सकते हैं।

मगरमच्छ भी समझ गया कि केवल ताकत से कुछ नहीं होता, बल्कि दिमाग़ का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। जंगल के जानवर अब एक साथ मिलकर रहते थे, और हर मुश्किल में धैर्य और समझदारी के साथ काम लेते थे।

जीवन का बड़ा पाठ – चिंटू की कहानी से सीखें

यह कहानी हमें सिखाती है कि “किसी भी मुश्किल में घबराना नहीं चाहिए, बल्कि धैर्य और समझदारी से सोचकर कदम उठाना चाहिए।”
जीवन में कई बार धोखे और कठिनाइयाँ आती हैं, पर सही सोच और संयम से हम हर बाधा को पार कर सकते हैं।

यह कहानी हमें कई महत्वपूर्ण जीवन के सबक देती है:

  • धैर्य और समझदारी से काम लें: मुश्किल हालात में घबराना नहीं चाहिए, बल्कि सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।
  • धोखे में न आएं: हर बात की तह तक जाएं, सतर्क रहें।
  • साहस और आत्मविश्वास बनाए रखें: मुश्किल वक्त में डरना नहीं, बल्कि अपनी बुद्धि पर भरोसा करना चाहिए।
  • दूसरों की मदद करें: चिंटू की तरह अपने दोस्तों के लिए हमेशा कुछ बेहतर करने की कोशिश करें।

FAQs – आपके सवाल और उनके जवाब

  • 1. यह कहानी बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
    यह कहानी बच्चों को धैर्य, समझदारी और दोस्ती के महत्व को सिखाती है। साथ ही, यह उन्हें सिखाती है कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों में बुद्धिमानी से निर्णय लेना चाहिए।
  • 2. इस कहानी से हम क्या सीख सकते हैं?
    हम सीखते हैं कि जीवन में किसी भी संकट का सामना घबराने की बजाय सूझबूझ, धैर्य और बुद्धि से करना चाहिए।
  • 3. क्या चिंटू और भौकाल सिंह के बीच दोस्ती संभव थी?
    नहीं, भौकाल सिंह ने चिंटू को धोखा देने की कोशिश की, लेकिन चिंटू की चालाकी ने उसे असफल कर दिया।

निष्कर्ष/Conclusion:

चतुर बंदर चिंटू और मगरमच्छ भौकाल सिंह की यह कहानी केवल एक जंगल की मजेदार कथा नहीं है, बल्कि जीवन का बड़ा सच है। जब हमारे पास शारीरिक ताकत नहीं होती, तब हमारा दिमाग़ और दिल हमें मजबूत बनाए रखते हैं।

अगर हम चिंटू की तरह समझदारी और धैर्य से काम लें, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती। जीवन में आगे बढ़ने के लिए यह सीख बेहद जरूरी है।

अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने बच्चों, परिवार और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और कमेंट(Comment) करके बातएं, ताकि वे भी सीखें कि कैसे चालाकी और धैर्य से जीवन की हर मुश्किल आसान हो सकती है।

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