झोपड़ी से आईएएस तक – एक सच्ची प्रेरणा की कहानी
परिचय
कहते हैं, अगर इरादे मजबूत हों तो हालात कभी रास्ता नहीं रोकते। यह कहानी है एक छोटे से गांव की एक लड़की की है जिसने गरीबी और मुश्किलों के बीच भी हार नहीं मानी और IAS अधिकारी बन गई।
कहानी
ये कहानी शुरू होती है उत्तर भारत के एक छोटे से गांव “धरमपुर” से, जहां मिट्टी की एक झोपड़ी में पूजा नाम की लड़की रहती थी। उसका बचपन बेहद गरीबी और संघर्ष में बीता। घर कच्चा था, छत टपकती थी और तो और खाने तक की कमी थी, पढ़ाई के नाम पर गांव में सिर्फ एक टूटा-फूटा स्कूल था, लेकिन उसके सपनों में कभी कमी नहीं आई।
उसके पापा खेतों में मजदूरी करते थे, और मां दूसरों के घरों में काम करके घर चलाती थीं। पूजा के लिए किताबें खरीदना, यूनिफॉर्म पहनना और स्कूल जाना भी किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन फिर भी, पूजा रोज स्कूल जाती, और रात को लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करती।
मुश्किलें आईं, लेकिन पूजा नहीं रुकी
गांव में लोग कहते थे, “एक मजदूर की बेटी क्या अफसर बनेगी?” लेकिन पूजा की मां हर दिन उसे यही कहतीं – “तू पढ़, तू कुछ बड़ा जरूर बनेगी।”
पूजा ने मां की बात दिल से लगाई।
वह दिन में खेतों में काम करती, शाम को मां की मदद करती, और रात को जमकर पढ़ाई करती। भूख लगने पर कई बार खाली पेट सो जाती, लेकिन किताबें कभी नहीं छोड़ीं।
मेहनत का फल
पूजा ने अपने गांव के स्कूल में टॉप किया। फिर स्कॉलरशिप मिली और वह शहर पढ़ने गई। वहां उसने खुद ट्यूशन पढ़ाकर पढ़ाई का खर्च निकाला। सालों की मेहनत के बाद वो दिन भी आया जब UPSC का रिजल्ट आया – और पूजा का नाम IAS लिस्ट में था।
धरमपुर गांव खुशी से झूम उठा। जिस झोपड़ी में कभी बिजली भी नहीं थी, वहां से एक IAS अफसर निकली थी – IAS पूजा कोहली!
निष्कर्ष (Conclusion)
पूजा की कहानी हमें सिखाती है कि हालात कितने भी मुश्किल हों, अगर हौसला हो तो मंज़िल मिल ही जाती है। झोपड़ी में जन्म लेने वाली पूजा ने यह साबित कर दिया कि सपनों को सच करने के लिए मेहनत, धैर्य और भरोसा बहुत ज़रूरी है
आपको यह कहानी कैसी लगी? क्या आपके आसपास भी कोई पूजा जैसी प्रेरणा है? हमें कमेंट में जरूर बताएं और इस कहानी को दूसरों तक पहुँचाएं।


