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स्वास्थ्य ही धन है – Health is Wealth

Posted on November 1, 2025 by My Hindi Stories

Swasth aur khush raja subah ke samay khule maidan mein vyayam kar raha hai.

एक समय की बात है, एक बहुत ही दयालु राजा था। उसका दिल सोने जैसा था, लेकिन समय के साथ उसकी आदतें बदल गईं। राजा अब सिर्फ सोने और खाने में ही अपना समय बिताता था। वह कई दिन, कई हफ्ते, महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहता, जैसे उसका शरीर एक आलू की तरह बस वहीं जम गया हो।

धीरे-धीरे उसका वजन बढ़ता गया, और राजा खुद भी अपने शरीर को हिला नहीं पा रहा था। उसके मंत्री और प्रजा उसकी चिंता करने लगे। और केवल यही नहीं—राजा का आलसीपन उसके दुश्मनों के लिए मजाक का सबब बन गया। यह राजा के लिए किसी बड़ी शर्म की बात से कम नहीं था।

राजा ने तब राज्य के हर कोने से सबसे निपुण वैधों को बुलाया। उसने कहा, “जो भी मुझे ठीक कर देगा, उसे मैं उचित इनाम दूँगा।” लेकिन, दुख की बात यह थी कि कोई भी वैध उसके आलसी और सुस्त शरीर को ठीक नहीं कर पाया। राजा ने ढेर सारा धन खर्च किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ।

फिर एक दिन, एक बुद्धिमान महात्मा राजा के राज्य में आए। जब उन्होंने राजा की हालत सुनी, तो उन्होंने तुरंत मंत्री को बताया कि वे उसे ठीक कर सकते हैं। मंत्री खुशी से झूम उठे और तुरंत राजा को यह खबर सुनाई।

“महाराज,” मंत्री ने कहा, “यदि आप सच में स्वस्थ होना चाहते हैं, तो आपको इस महात्मा से मिलना ही होगा।”

लेकिन महात्मा सीधे महल आने को तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा, “राजा जी, यदि आप सच में ठीक होना चाहते हैं, तो आपको स्वयं मेरे कुटिया तक चलकर आना होगा।”

राजा के लिए यह एक कठिन निर्णय था। वह इतने लंबे समय से बेकार पड़ा था कि अपने पैरों पर चलना भी मुश्किल था। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाई। मंत्री और कुछ सेवकों की मदद से, राजा मुश्किल से महल से बाहर निकला और महात्मा की कुटिया तक पहुँचा।

महात्मा ने राजा का स्वागत करते हुए कहा, “आपका हृदय बहुत नेक है। आप जल्द ही स्वस्थ होंगे। पर आपकी यात्रा का असली इलाज यही है—आपको रोज चलकर आना होगा।”

अगले दिन भी, राजा अपनी कुटिया पहुँचा, लेकिन महात्मा वहां नहीं थे। उनके शिष्य ने विनम्रता से कहा, “महात्मा बाहर गए हैं। कृपया कल फिर आएँ।”

और यह सिलसिला दो हफ्तों तक चला। राजा रोज कुटिया जाता, फिर महल लौटता। महात्मा से मिलने की इच्छा लगातार बनी रही, लेकिन कोई शॉर्टकट नहीं था।

धीरे-धीरे, राजा ने खुद में बदलाव महसूस किया। उसका शरीर हल्का लगने लगा, वजन घटा, और वह पहले से अधिक सक्रिय महसूस करने लगा। अब उसे समझ में आया कि महात्मा ने उसे रोज चलकर आने के लिए कहा था—यह सरल मगर प्रभावी उपचार था।

राजा ने आलस्य को त्याग दिया। उसने रोज व्यायाम शुरू किया, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने लगा। कुछ ही समय में उसने अपना खोया हुआ शरीर और ऊर्जा वापस पा ली। अब प्रजा भी अपने राजा से बेहद खुश थी।

निष्कर्ष (Conclusion)

राजा की कहानी हमें सिखाती है कि असली बदलाव केवल बाहरी उपायों से नहीं आता। छोटे-छोटे कदम, नियमित प्रयास और स्वयं की जिम्मेदारी लेने से ही जीवन में वास्तविक परिवर्तन आता है। आलस्य छोड़ना, मेहनत करना और धैर्य रखना जीवन की सबसे बड़ी ताकत है।

स्वास्थ्य की अनदेखी करना चाहे आप राजा हों या आम आदमी, जीवन को बना देता है। लेकिन नियमित प्रयास से, अपने शरीर और मन का ध्यान रखकर, हम न केवल मजबूत बनते हैं बल्कि खुशहाल और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं।

“स्वास्थ्य ही असली धन है। इसे संजोएँ, इसे सक्रिय बनाएँ—क्योंकि स्वस्थ शरीर और सक्रिय जीवन ही सच्ची खुशियों की कुंजी हैं।

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