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ट्रेन की वो मुलाक़ात

Posted on September 29, 2025 by My Hindi Stories

A quiet emotional moment between a young man and woman sitting across from each other on an Indian train at dusk, sharing a soulful gaze through the window.

“कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे हसीन कहानियाँ वहीं शुरू होती हैं, जहाँ हमें उनका सबसे कम अंदाज़ा होता है।”

एक आम शाम, एक अनजानी शुरुआत

शाम ढलने लगी थी। दिल्ली की सड़कों का शोर अब धीरे-धीरे स्टेशन की हलचल में बदल रहा था।

मैं, अर्जुन — एक थका-हारा इंसान, जो बस कुछ पलों की शांति की तलाश में था, चुपचाप शिवगंगा एक्सप्रेस की विंडो सीट पर जाकर बैठ गया।

बाहर अंधेरा धीरे-धीरे परदे की तरह खिड़की पर उतर रहा था। किताबें पास थीं, मोबाइल में पुराने ग़ज़लें, और दिल… थोड़ा टूटा हुआ, थोड़ा खाली।

पहली नज़र 

कानपुर स्टेशन

ट्रेन कुछ पल को थमी, और मेरी दुनिया पल भर में बदल गई।

एक लड़की ट्रेन में चढ़ी — गुलाबी सूट, बाल खुले, और आँखों में एक अनकही कहानी।

वो मेरी सामने वाली सीट पर आकर बैठी।

हमारी नज़रें मिलीं, और उसने हल्की सी मुस्कान दी — वो मुस्कान, जो किसी पुराने गाने की तरह दिल में बस गई।

दो अजनबी, एक आत्मा

“Hi… मैं सना,” उसने कहा।
“अर्जुन,” मैंने जवाब दिया — शायद ज़रा धीमे, लेकिन दिल से।

बातचीत की शुरुआत मौसम और स्टेशन से हुई, लेकिन कुछ ही पलों में हम ज़िंदगी, ख्वाब और अधूरेपन पर आ पहुँचे।
उसने बताया — वो हर महीने लखनऊ जाती है, अपनी नानी से मिलने। और ट्रेन उसके लिए बस सफर नहीं, एक सुकून भरी जगह है।

मैं बस सुनता गया, उसकी आवाज़ में सुकून था, उसकी बातों में गहराई — जैसे हर लफ़्ज़ के पीछे कोई अधूरी कविता छिपी हो।

वो दो घंटे — जैसे पूरी ज़िंदगी

हम दोनों एक-दूसरे के लिए अजनबी होते हुए भी जैसे बरसों से जानते हों। बीच-बीच में वो हँसती थी — खुलकर, बेपरवाह। और मैं… मैं हर बार उसकी हँसी में खो जाता था।

उसने बताया, उसका एक सपना है — पहाड़ों में एक छोटा सा स्कूल खोलने का। बच्चों को पढ़ाना, उन्हें सपने दिखाना। और मुझे लगा, जैसे इंसान की सुंदरता सिर्फ चेहरे में नहीं, उसके इरादों में भी होती है।

मैंने उसे अपनी अधूरी कविताएँ सुनाईं। वो सुनती रही, और बोली — “तुम्हें लिखते रहना चाहिए अर्जुन, तुममें गहराई है।”
पता नहीं क्यों, उसके मुँह से ये सुनना बहुत अच्छा लगा। जैसे कोई अंदर से टूटे हुए इंसान को पहली बार किसी ने पूरा कहा हो।

विदाई का वो लम्हा

लखनऊ आने वाला था।
ट्रेन धीमी हुई, और दिल की धड़कनें तेज़।

मैंने बहुत चाहा कि उससे कह दूँ —
“रुको, मत जाओ… या कम से कम नंबर दे दो।”
लेकिन जुबां साथ नहीं दे रही थी।
शायद मैं उस जादू को तोड़ना नहीं चाहता था, जो इन दो घंटों में बुन चुका था।

वो उठी, बैग कंधे पर डाला, और जाते-जाते मुड़कर बस इतना कहा —
“कुछ लोग कहानी बनकर आते हैं, और हमेशा के लिए रह जाते हैं…”

फिर वो भीड़ में खो गई। और मैं… मैं अपनी जगह बैठा रहा, जैसे किसी ने कुछ छीन लिया हो।

वो दो घंटे… जो उम्र भर साथ रहेंगे

उस मुलाक़ात को अब चार साल हो गए हैं। ना कभी सना मिली, ना कोई खबर आई। लेकिन वो दो घंटे मेरी सबसे कीमती याद हैं। अब भी जब कभी ट्रेन की सीट मिलती है, मैं खिड़की के पास बैठता हूँ, और आंखें भीड़ में उसी मुस्कान को ढूंढती हैं।

मैंने लिखना नहीं छोड़ा — सना की बात याद रखी। हर कविता, हर कहानी में कहीं न कहीं उसकी परछाईं होती है। आज भी जब कोई मेरी कविता पढ़कर तारीफ़ करता है, मैं मन ही मन उसे शुक्रिया कहता हूँ।

जीवन का सबक

कुछ लोग हमारे जीवन में बस एक अध्याय(lesson) बनकर आते हैं, पर वही सबसे गहरा असर छोड़ जाते हैं।

कुछ रिश्ते वक़्त से नहीं, एहसास से बनते हैं।
और कुछ कहानियाँ अधूरी ही सबसे ज़्यादा मुकम्मल लगती हैं।

आपकी बारी

क्या आपकी ज़िंदगी में भी कभी कोई ऐसा अजनबी आया,
जो दो घंटे में दिल का हिस्सा बन गया?👇 अपनी कहानी हमारे साथ ज़रूर साझा करें।
क्योंकि —
“कभी-कभी सबसे खूबसूरत कहानियाँ वहीं छिपी होती हैं, जहाँ हम ढूँढना ही भूल जाते हैं।”

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